21-10-2015, 07:43 PM
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#1145
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by rajnish manga
मृदु रजत रश्मियाँ देखूँ
उलझी निद्रा-पंखों में
या निर्मिमेष पलकों में
चिंता का अभिनय देखूँ !
तुझमे अम्लान हंसी है
इसमें अजस्र आँसू जल
तेरा वैभव देखूँ या
जीवन का क्रन्दन देखूँ !
(महादेवी वर्मा)
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खूबियाँ इतनी तो नही हम में कि तुम्हे कभी याद आएँगे,
पर इतना तो ऐतबार है हमे खुद पर, आप हमे कभी भूल नही पाएँगे।
(अज्ञात)
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