23-10-2015, 09:24 PM
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#1147
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
गुंचा हंसा न हो कली दिल की खिली न हो
ये क्या चमन में पत्ता हरा एक भी न हो
उस बांसुरी से हमको सरोकार कुछ नहीं
वो बांसुरी जो सांवरे घनश्याम की न हो
(अनु जसरोटिया)
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हठीले मेरे भोले पथिक!
किधर जाते हो आकस्मात।
अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ,
सोच तो लो आगे की बात॥
(सुभद्राकुमारी चौहान)
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