24-10-2015, 12:36 PM
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#1148
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
Quote:
Originally Posted by suraj shah
हठीले मेरे भोले पथिक!
किधर जाते हो आकस्मात।
अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ,
सोच तो लो आगे की बात॥
(सुभद्राकुमारी चौहान)
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ताऊ चाचा खो गए, खोये अपने गाँव
पैर पसारे शहर ने, ढूंढें मिले न छाँव
हरकू माथा पीटता, सोच रहा हैरान
गाँव बना है भेड़िया, शहर हुआ शैतान
(सूरज पाल सिंह चौहान)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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