स्वच्छ राजनीति
स्वच्छ राजनीति
पिछले विधान सभा चुनावों में दिल्ली की जनता ने 'स्वच्छ राजनीति' करने वाले और बेदाग़ नेताओं के हाथों में ज़बरदस्त बहुमत के साथ सत्ता की बागडोर सौंपी थी. नई सरकार बने एक वर्ष भी नहीं हुआ और इस दौरान कई विवाद सामने आये और दिल्ली की जनता को बहुत सी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा. इसमें नवीनतम समस्या है तनख्वाह न मिलने के कारण सफ़ाई कर्मचारियों की दूसरी हड़ताल (एक पहले हो चुकी है). जगह जगह कूड़े के ढेर लगे हैं. कई जगह पैदल चलने वालों को भी दिक्कत होती है और स्कूटर, बाइक व कार वालों को भी परेशानी है. गन्दगी के कारण बिमारी फैलने का खतरा अलग है.
उपरोक्त हालात में प्रश्न उठता है कि स्वच्छ राजनीति और भ्रष्टाचार मुक्ति का नारा देने वाले राजनेता स्वच्छ प्रशासन देने में क्यों नाकाम हैं? नई और पुरानी सरकार की कार्य पद्धति में क्या अंतर है? समस्याओं का खात्मा कैसे हो सकता है. इस सन्दर्भ में आप के विचार आमंत्रित हैं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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