Re: आपस की बात अलैक शेरमन के साथ (Aapas ki Baat)
कांग्रेस की स्थापना थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्यों एलन ओक्टावियन ह्यूम, दादाभाई नोरोजी, दिनशा वाचा, वोमेश चन्द्र बनर्जी, सुरेन्द्रनाथ बनर्जी, मनमोहन घोष, महादेव गोविन्द रानाडे और विलियम वेदार्बर्न आदि ने 1885 में की थी ! इसकी स्थापना का मूल उद्देश्य भारत में ब्रिटिश राज का विरोध किए बिना सत्ता में भारतीयों की भागीदारी बढ़ाना और भारतीयों को इस बारे में जागृत करना था ! 1907 में कांग्रेस सशक्त राजनीतिक दल के रूप में सामने आते हुए बाल गंगाधर तिलक के नेतृत्व में गरम और गोपाल कृष्ण गोखले के नेतृत्व में नरम दो गुटों (दलों) में बंट गई ! उसकी इस दूसरी पीढ़ी में बिपिन चन्द्र पाल, लाला लाजपत राय, सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, मुहम्मद अली जिन्ना आदि शामिल थे, लेकिन 1915 में गांधीजी के साउथ अफ्रीका से लौटने के साथ ही सारा परिदृश्य एकदम बदल गया और उनके नेतृत्व में पंडित नेहरू, सरदार पटेल, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद आदि ने पूर्ण स्वराज की मांग शुरू की, लेकिन यहां यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह सारा मूवमेंट पूरी तरह अहिंसक और विरोध के कानूनी तौर पर वैध तरीकों के द्वारा चलाया जा रहा था और अंत तक ऐसा ही बना रहा !
दूसरी ओर मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में 1906 में नबाव सलीमुल्ला खान और आग़ा खान ने ब्रिटिश राज का विरोध नहीं करते हुए मुस्लिम हितों की रक्षा के उद्देश्य से की थी ! प्रारम्भ से ही यह सर सय्यद अहमद खान के असर की वज़ह से ब्रिटिश शासकों का समर्थन करती रही, ताकि अपनी कौम को वांछित सहूलियात सहज सुलभ करा सके, लेकिन जब 1913 में बंगाल के विभाजन की इसकी मांग नकार दी गई, तो इसने इसे मुस्लिम समुदाय से विश्वासघात के रूप में लिया और भारत की स्वतंत्रता की मांग उठानी शुरू कर दी ! सन 1930 में अल्लामा मुहम्मद इकबाल के नेतृत्व में इसने मुस्लिमों के लिए अलग राज्य की मांग उठाई और मुहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में आने से इसे और बल मिला और अंततः यह भारत का विभाजन कराने के अपने उद्देश्य में सफल हुई !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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