बबूल, नीम और पीपल
बबूल, नीम और पीपल
(ओशो)
लुकमान के जीवन मे उल्लेख है कि एक आदमी को उसने भारत भेजा आयुर्वेद की शिक्षा के लिए और उससे कहा कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ भारत पहुच। और किसी दूसरे वृक्ष के नीचे न तो आराम करना और न ही सोना। वह आदमी जब तक भारत आया, क्षय रोग से पीड़ित हो गया था। कश्मीर पहुंचकर उसने पहले चिकित्सक को कहा कि मैं तो मरा जा रहा हूं। मैं तो सीखने आया था आयुर्वेद, अब सीखना नहीं है। सिर्फ मेरी चिकित्सा कर दें। मैं ठीक हो जाऊं तो अपने घर वापस लोटू। उस वैद्य न उससे कहा, तू किसी विशेष वृक्ष के नीचे सोता हुआ तो नहीं आया?
उस आदमी ने तपाक से कहा: हां मुझे मेरे गुरु ने आज्ञा दी थी कि तू बबूल के वृक्ष के नीचे सोता हुआ जाना।
वह वैद्य हंसा। उसने कहा, तू कुछ मत कर। तू अब नीम के वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट जा।‘’
वह नीम के वृक्ष के नीचे सोता हुआ वापस लौट गया। वह जैसा स्वस्थ चला था, वैसा स्वस्थ लुकमान के पास पहुंच गया।
लुकमान ने उससे पूछा: ‘’तू ज़िन्दा लौट आया, अब आयुर्वेद में जरूर कोई राज है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 30-01-2016 at 01:36 PM.
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