Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by suraj shah
सजग लखतीं थी तेरी राह
सुलाकर प्राणों में अवसाद;
पलक प्यालों से पी पी देव!
मधुर आसव सी तेरी याद।
(वरदान - महादेवी वर्मा)
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दीपकमय कर डाला जब
जल कर पतंग ने जीवन
सीखा बालक मेघों ने
नभ के आँगन में रोदन
(महादेवी वर्मा)
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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