Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
बहस चल रही थी, मतलब की कुछ लोग मेरे समर्थन में तो कुछ विरोध में थे। खैर, जिंदगी चलने लगी थी अपने रफ्तार से। पटना जाने का कार्यक्रम स्थागित हो गया था। दो विकल्पों में प्यार या कैरियर को चुनने की जद्दोजहद चल रही थी।
आज गांव मे प्रचार वाहन आया हुआ था। लाउडीस्पीकर पर जोर जोर से आवाज गूंज रही थी-आज ही संध्या चार बाजे, कॉलेज के मैदान में, विश्व हिंदू परिषद के नेता सिंधल जी पधार रहें हैं। अतः आप तमाम लोगों से अनुरोध है कि लाखों लाख की संख्या में जुट कर आबें और उनका भाषण सुन कर लाभ उठावें।’’ बचपन से ही नेताओ का भाषण देखने सुनने का बड़ा शौक था। मन भी उदास था और समय भी काटना था।
कुछ साल पूर्व जब होस्पील के मैदान में मजदूरों के नेता जार्ज फर्नाडीस आऐ थे तो उनका भोषण सुनकर बड़ा अच्छा लगा था। गरीब किसान, मजदूर की बात करते थे तो लगता था मेरे हक की बात कह रहें हो। उस सभा में ही लोगो से आर्थिक सहयोग देने की बात कही गई थी तो मेरे जेब मे रखी एक मात्र एक रूपया का सिक्का मैंने निकाल कर दे दिया था और उस दिन से समाजवाद का मतलब जार्ज साहब को जानता था और आज हिन्दु नेता आ रहे है। गांव से एक टोली बना कर सभी निकल गए।
कल की घटना ताजी थी और रास्ते में पड़ने वाली मिंया साहब के मजार से होकर ही लोग पैदल गुजरते थे। मिंया साहब का मजार क्या था। एक नीम का पेंड, तीन-चार फिट लंबा और एक फिट चौड़ मिट्टी का एक टीला, उसके उपर लाल रंग की एक चादर और आस पास बिखरे अगरबत्ती। कुल मिलाकर किसी देव स्थल का प्रमाण। गांव के लोग गाहे-बेगाहे यहां आकर मन्नत मांग जाते और पूरा होने पर पुजारी झपसू मिंया के साथ वहां पूजा करने आते, चादर चढ़ाते और पेडों का प्रसाद बंटता।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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