Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
‘‘चिंता तो होगेलई राम भाई, अब दिल काबू में नै है और साला करे ले चाहो हिए कुछ तो कोई न कोई आ के अड़ंगा लगा दे हो।’’
बात चल रही थी और फिर दिल की बात होने लगी तथा राम से कह दिया सारी घटना, कैसे कुरौनी में मेरी पिटाई हुई और फिर रजनीश सिंह से क्यों लड़ाई हुई।
‘‘अब बताहो, हमतो सोंचलिए हल कि पढ़ लिख के कुछ बन जइबै तब शादी ब्याह कंे बारे में सोंचबै, पर लगो है सोचल बात नै होबो है।’’
‘‘से तो है, मुदा समाज भी तो कुछ होबो हई।’’ रहना तो हमरा यहीं है और इ कभी ऐसन होबे ले नै देतो।’’
‘‘पर राम बाबू अब रीना के बिना लगो है नै जियल जाइतै।’’
‘‘सब ठीक बबलू भाई, पर मुर्गी खाइला से मतलब होबे के चाही, पांख काहे ले माथा पर बांधे के फेरा में लग हो।’’ राम ने एक बार फिर से यही तर्क दिया। मैं तिलमिला गया। मुर्गी के खाने और पांख को सर नहीं टांगने का मतलब मैं समझ रहा था। मैं जानता था कि राम क्यों ऐसा कह रहा है। सच तो यह है कि उसके मुर्गी खाने की चर्चा जोरों पर थी। अपने बहनोई कें घर रह कर उसके बहन से उसके चक्कर की चर्चा महिलाओं की बैठकी में होने लगी थी।
मैं थोड़ा गुस्से में आ गया-‘‘ राम बाबू मुर्गी खाने के लिए मांसाहारी होबे ले पड़तइ पर सब आदमी मांसाहारी तो नै होबो हई। शकाहारी आदमिया की करतइ। और कुछ कंे बिना मुर्गी खइले पांख टांगे के शौक होबो हई, ओकरा की करभो।’’
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 13-09-2014 at 09:46 PM.
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