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अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
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01-07-2013, 01:44 PM
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VARSHNEY.009
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अनमोल व्याक्यंश प्रतिदिन
सारा जगत स्वतंत्रता के लिए लालायित रहता है फिर भी प्रत्येक जीव अपने बंधनो को प्यार करता है। यही हमारी प्रकृति की पहली दुरूह ग्रंथि और विरोधाभास है।
- श्री अरविंद
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