बिहार का इतिहास
अन्य साहित्यिक स्त्रोत
विद्यापति की रचनाएँ कीर्तिलता, कीर्तिपताका हैं, ज्योतिरीश्वर की वर्ण रत्नाकर एवं चन्द्रशेखर की रचनाएँ हैं जो उत्तरी बिहार के मिथिला क्षेत्र के इतिहास के स्रोत से प्राप्त होती हैं ।
पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य- प्राचीन बिहार के ऐतिहासिक स्त्रोत का प्रमुख स्त्रोत पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है । पुरातत्व सम्बन्धी साक्ष्य में अभिलेख सम्बन्धी, मुद्रा सम्बन्धी तथा स्मारक सम्बन्धी तीन प्रमुख स्त्रोत हैं ।
अभिलेखीय स्त्रोत- अभिलेखों का ऐतिहासिक महत्व साहित्यिक साक्ष्यों में पाषाण शिलाओं, स्तम्भों, ताम्रपत्रों, दीवारों, मुद्राओं एवं प्रतिमाओं आदि पर खुदे हुए मिले हैं ।
**सबसे प्राचीन अभिलेखों में मध्य एशिया के बोधजकोई से प्राप्त अभिलेख हैं ।
**विभिन्न अभिलेखों से अशोक के शासन के विवरण मिलते हैं । अशोक के अनेक शिलालेख एवं स्तम्भ लेख देश के विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुए हैं ।
**इन अभिलेखों से अशोक के साम्राज्य की सीमा, उसके धर्म तथा शासन नीति पर महत्वपूर्ण विवरण प्राप्त होते हैं ।
**गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त का प्रयाग स्तम्भ लेख, मालव नरेश यशोवर्मन का मन्दसोर अभिलेख, चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख प्रमुख हैं ।
मन्दिर इमारतें, स्मारक आदि के तहत स्तम्भ, दुर्ग, राजप्रासाद, भग्नावशेष आदि इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं । इनसे राजनीतिक व धार्मिक व्यवस्था तथा राजव्यवस्था की जानकारी मिलती है ।
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Self-Banned.
Missing you guys!
फिर मिलेंगे|
मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक||
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