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Old 23-08-2013, 07:54 PM   #309
jai_bhardwaj
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Default Re: छींटे और बौछार

जब भी कभी उन्माद के पल आ गए
आवेश के अति सघन बादल छा गए
क्रोध की बूँदों से जलमग्न रिश्ते हो गए
सम्बन्ध-च्युत होते ही 'जय' घबरा गए
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर ।
परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।।
विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम ।
पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।।

कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/
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