Re: डार्क सेंट की पाठशाला
ईश्वर खोलता है दरवाजा
हेलेन केलर जब केवल डेढ़ साल की थीं, तभी वह तेज बुखार से पीड़ित हो गईं। इससे उनके देखने, सुनने और बोलने की शक्ति चली गई। घर के सभी सदस्य उनकी बदकिस्मती पर आंसू बहाने लगे। जब वह कुछ बड़ी हुईं, तो उनकी मां ने उन्हें अनेक चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन कहीं पर भी उनका इलाज नहीं हो पाया। तभी उन्हें एक कुशल अध्यापिका एनी सुलिवान मिलीं। एनी सुलिवान स्वयं कुछ सालों तक दृष्टिहीन रह चुकी थीं। डॉ. एनेग्नास ने उनकी आंखों के नौ आपरेशन कर उन्हें आंखों की रोशनी प्रदान की थी। उसके बाद एनी सुलिवान नेत्रहीन बच्चों को पढ़ाने लगी थीं। सुलिवान हेलेन को उनके माता-पिता से कुछ समय के लिए दूर ले गईं और वहां पर उन्होंने हेलेन को समझाया कि जीवन में मनुष्य जो पाना चाहता है, उसके लिए उसे सही तरीके से परिश्रम करना पड़ता है। कुछ दिनों के बाद हेलेन में सीखने की ललक के साथ-साथ काम करने का उत्साह भी पैदा होता गया और सुलिवान के अथक प्रयासों से हेलेन अंग्रेजी, लैटिन, ग्रीक, फ्रेंच और जर्मन भाषाओं की जानकार बन गईं। इसके बाद हेलेन में लिखने की लालसा जागी और उन्होंने अनेक पुस्तकें लिखीं। आज उनकी विश्वप्रसिद्ध कृतियां, 'मेरा धर्म' और 'मेरी जीवन कहानी' अनेक भटके हुए लोगों को राह दिखाती हैं। उन्होंने ब्रेल लिपि में अनेक ग्रंथ लिखे और कई प्रसिद्ध कृतियों को ब्रेल लिपि में प्रकाशित करवाया। वह पूरे विश्व के सामने एक अद्भुत एवं महान महिला बनकर उभरीं, जिन्होंने अपनी किस्मत पर आंसू बहाने के बजाय मेहनत और लगन से अपने जीवन को संवारा। उनका कहना था कि ईश्वर एक दरवाजा बंद करता है, तो दूसरा खोल देता है, पर हम उस बंद दरवाजे की ओर टकटकी लगाए बैठे रहते हैं। दूसरे खुले दरवाजे की ओर हमारी दृष्टि ही नहीं जाती। हेलेन की उपलब्धियों ने यह सिद्ध कर दिया था कि शारीरिक अपंगता व्यक्ति के विकास में बाधक नहीं होती। वह उससे पार पा सकता है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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