Re: हत्यारी पिस्तौल की तलाश
खतरनाक गिनती .
मुश्किल से एक माह गुजरा होगा कि 25 नवम्बर को सुबह 11 बजे, 53 वर्षीय फिलिस्तीनी दुकानदार सलीम ईराकत की उसके भोजनालय में ही हत्या कर दी गयी. उसके हाथ उसकी पीठ के पीछे बाँध दिये गये थे. उसे एक गोली मारी गयी थी, दाहिने कान के ऊपर, सजा देने वाले पुराने अंदाज में. लगभग 1000 डॉलर गायब था, पुलिस ने अनुमान लगाया कि यह डकैती का एक केस है. परन्तु अन्य गुप्तचर इतने विश्वास से नहीं कह सके. चश्मदीद गवाहों के विवरण से आशंका एक पुरातनपंथी पौशाक में एक अच्छे खासे अश्वेत की ओर होने लगी. उसका हुलिया एक आम लुटेरे से मेल नहीं खा रहा था.
वहां तीन सबूत थे - .32 केलिबर की गोली जो सलीम ईराकात के मस्तिष्क से बाहर निकल गयी, .32 केलीबर की गोली का बाहरी खोल जो स्वचालित पिस्तौल के चलते ही गिर पड़ा, और दरवाजे के अन्दर वाले हैंडल पर एक हाथ के निशान. परन्तु हथियार के बिना, संदिग्ध व्यक्ति के बिना ये सबूत किसी काम के नहीं थे.
कुछ दिन बीते कि तब दिसम्बर माह की 11 तारीख को रात 9.47 पर पॉल डैन्सिक नामक व्यक्ति दोराहे पर स्थित एक तैलिफोने बूथ में दाखिल हुआ. बूथ बिजली के बल्ब की रोशनी से प्रकाशित था. उसने कुछ सिक्के डाले और नंबर डायल करने लगा. दूसरी ओर से उत्तर मिलने पर बातचीत होने लगी. केकिन वह अपनी बात पूरी न कर पाया. एक के बाद तीन गोलियां चलीं और डैन्सिक वहीँ फुटपाथ पर ही ढेर हो गया. गोलियां उसकी छाती में मारी गयी थीं. क्षणभर में ही उसके प्राण पखेरू उड़ गये.
खोजियों द्वारा फूटपाथ से गोलियों के तीन खोल बरामद कर लिए गये. ये सभी .32 केलिबर ऑटोमैटिक द्वारा छोड़े गये थे. जो डैन्सिक के शरीर से निकली गोलियों के बाहरी खोल थे. परीक्षणों द्वारा यह जल्द ही साबित हो गया कि गोलियां उसी पिस्तौल से दागी गयी थीं, जिसने सलीम ईराकात की इहलीला समाप्त कर दी थी. महत्वपूर्ण बात यह थी कि प्रत्यक्षदर्शियों द्वारा हत्यारों का वर्णन दो सजे-धजे अश्वेतों के रूप में किया गया था.
|