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Old 10-12-2010, 04:37 PM   #24
amit_tiwari
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Default Re: एडल्ट साइट्स : स्वयं का मूल्याँकन

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Originally Posted by amol View Post
तो ऐसे मामले में हम लोग james बोंड की तरह तो नहीं बनकर उनको पकड़ तो नहीं सकते. केवल हम लोगो के हाथ में इतना ही है की हम इस तरह के वेबसाइट कभी भूल कर भी ना visit करे और अपने मित्रो और रिश्तेदारों को भी आगाह करते रहे.
यही मैं कहना चाहता हूँ कि सरकार को जो करना है वो करे, करे या ना करे पर हम अपनी तरफ से इतनी जागरूकता ले आयें कि स्वयं ही ना जाएँ |

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Originally Posted by arvind View Post
कोई भी अपराध पूरी तरह से खत्म होना प्रायोगिक रूप से असंभव है, हाँ लेकिन उसे कम तो जरूर किया जा सकता है.... मगर इसके लिए कई स्तर पर मोर्चा खोलना होगा - सरकारी स्तर से लेकर व्यक्ति स्तर तक। कानून को प्रभावी एवं सख्ती से लागू करना होगा। यह सही है की कोई भी व्यक्ति कोई भी साईट कुछ हजार रुपये खर्च करके आसानी से शुरू कर सकता है, और कंटैंट का क्या है - उसके लिए तो मेहनत की जरूरत ही नहीं है, बस खाली पोस्ट करने की सुविधा दे दीजिये, फिर देखिये.... लेकिन इसे भी आसान है, इसे रोकना.... अगर "सक्षम" सरकारी विभाग चाह ले तो मिन्टो मे उस साईट के ip address को ब्लॉक कर सकती है, तब ऐसे साईट चलाने वाले कुछ नहीं कर पाएंगे और उनकी सारी की सारी तैयारी धरी रह जाएगी।
सत्य वचन बन्धु, मैं बिना किसी संकोच के सहमत हूँ कि किसी भी प्रकार के अपराध को शत प्रतिशत समाप्त करना असंभव है किन्तु जैसे चोरी, डकैती और हत्यारों को एक सामाजिक तिरस्कार मिलता है वैसा ही इस केस में भी होना चाहिए | ऐसी साईट को चलने वाले, सहयोग देने वाले घी चुपड़ी बातों से सबके प्रिय बने बैठे रहते हैं और प्रोत्साहन पाते हैं |
उनके इस सपोर्ट को ख़त्म करना है, इतना और इस कदर धिक्कारना है कि ऐसी साइटों के पोषक सर उठा के अपने घर में भी ना रह सकें |

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Originally Posted by एस. आर. View Post
इस तरह की साइटें जहा से भी चलाई जा रही हों, पर हमारे देश में इनको आसानी से देखा जा सकता है, एषा क्यों, ??? भारतीय कानून में जब ये गुनाह है तो भारतीय कानून इन साइटों पर प्रतिबन्ध क्यों नहीं लगता ??
जब हम अपने टेलीविसन पर चेनल सर्च करते है तो इंटरनेट पर भी, अब उसमे कुछ जिंगा लाला हुर्र फुर्र हो जाये तब.
कहने का मतलब इंटरनेट कनेक्सन तो भारत सरकार के दूरसंचार केंद्र से ही कनेक्ट है , तो दूरसंचार विभाग के माध्यम से ये सब क्यों दीखता है बोले तो जिंगा लाला हुर्र फुर्र !
भारतीय क़ानून आईटी के मामले में कितना लचर है यह किस्से छिपा है भाई |
कुछ अप्रत्यक्ष प्राविधान हैं पुलिस के पास जो लागु हो सकते हैं किन्तु मेला, दैनिक जाम, वीआइपी द्युति, चुनाव, बिजली छपे इन्ही से फुर्सत मिले तो कुछ और करें |
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