Re: किस्सा तीन बहनों का
किस्सा तीन बहनों का
इतनी बातचीत होने पर भी दोनों घर जा कर इस बात को भूल गए। लेकिन रात को सोने के लिए जाते समय बहमन ने कमरबंद खोला तो गेंदें जमीन पर गिरीं। वह फौरन अपनी बहन के पास गया और परवेज को भी ले गया। परीजाद अभी तक अपने शयनकक्ष में नहीं गई थी। दोनों भाइयों ने उसे बताया कि बादशाह ने उन्हें भोजन का निमंत्रण दिया है और यह भी कहा कि दो दिन तक तुमने सलाह लेना भूलते रहे। उसने कहा कि यह तो तुम्हारा सौभाग्य है कि बादशाह ने तुम्हें खाने पर बुलाया है किंतु तुमने यह बड़ा बुरा किया कि दो दिन तक बादशाह तक की कही हुई बात को भूले रहे। भला बताओ, जब मुझे इस बात से इतना बुरा लग रहा है तो बादशाह को रंज न हुआ होगा? वैसे तो तुम्हें बादशाह का निमंत्रण मिलते ही उसे सधन्यवाद स्वीकार कर लेना चाहिए था। लेकिन अब जब इतनी बात हो गई तो मैं बोलती चिड़िया से भी सलाह ले लूँ।
फिर वह चिड़िया का पिंजड़ा अपने कक्ष में ले गई और बोली, चिड़िया रानी, तुम्हें तो सारी छुपी हुई बातों का पता है और तुम्हारी सलाह हमेशा सही होती है। मुझे तुमसे एक सलाह लेनी है। मेरे भाइयों को बादशाह ने अपने साथ भोजन करने का निमंत्रण दिया है। वे दो-तीन दिन तक यह बात भूल-भूल जाते रहे हैं और आज ही उन्होंने मुझे बताया है। क्या तुम्हारी राय में अब उनका जाना मुनासिब है, बादशाह कहीं नाराज न हों।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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