Re: सप्ताहांत चिन्तन :: अभिषेक की कलम से
आज भारत फिर से २८ साल बाद वर्ल्ड कप जीत गया है, चारो ओर धोनी, सचिन, युवराज, जहीर और उनके साथियों की जय जयकार हो रही है, अरबो की दौलत उन पर बहाई जा रही है. लेकिन १९८३ में ऐसा नहीं था. क्रिकेट भारतवासियों का धर्म नहीं हुआ करता था. फिर भी लोगो ने कपिल की टीम का जम कर स्वागत किया था.
कीर्ति आजाद जो की उस समय भारत की टीम में थे और फायनल मैच में नहीं खेल सके थे, जब अपने गाँव पहचे तो पुरे गाँव वालो ने उनका शानदार स्वागत किया और स्टेशन पर उनका विजय तिलक हुआ, फिर उन्हें रथ पर बैठा कर गाँव के बहुत ही पुराने मंदिर में ले जाकर उनसे पूजा अर्चना करवाई गयी. और गिरिजा घरो के घंटे उनकी शान में लगातार २ घंटे तक बजाये गए थे. ऐसा स्वागत शायद आज के परिवेश और भौतिक युग में ना हो, लेकिन फिर भी इसके सामने करोडो अरबो की दौलत भी कुछ खास मायने नहीं रखती.
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