Re: एक लम्बी प्रेम कहानी
यह मिलन तीन चार घंटों तक हुआ। रीना अपने कमरे में अपनी विधवा भाभी के साथ सोती थी और जब वह सो गई तो वह मिलने आई थी। वेशक उसके अंदर भी मेरे जैसा ही एहसास रहा होगा पर उस धवल चांद की गोद में मिलकर एकाकार हुए दो मन की देह का मिलन संभव नहीं हो सका पर वह भी एक हो चुका था। दो देह के होने का एहसास रहा ही नहीं?
मैं उसका इंतजार कर रहा था और एक बार फिर निराश हो गया था कि वह नहीं आएगी तो उस चांदनी रात में लगा जैस एक परी आसमान से उतर कर मेरी ओर चली आ रही है। मन को हुए इस एहसास के बीच ही सचमुच रीना का आगमन हुआ। उसक आने के बाद सब कुछ जैसे बदल गया। झिंगुर की वह करकश आवाज मन में मिठांस घोलने लगी और दादुर की टर्र टर्र टर्र लगने लगा जैसे वीणा के तार उठे हो। तालाब में पानी लबालब । हमदोनों किनारे पर जा कर बरगद के सोरी पर बैठ गये। लग रहा था जैसे दोनों के मिलन का बरगद भी बेचैनी से इंतजार कर रहा हो।
करता भी क्यों नहीं इस बुढ़ा बरगद से भी अपना अपनापा है। बचपन से ही, जब से होश संभाला है तभी से। घर के दस बांस आगे ही इसे बैठा हुआ देख रहा हूं और यह भी की कैसे गर्मी के दिनों में दर्जनों जानवर इसकी गोद में आ कर सो जाते है और दोपहर होने पर मैं भी सभी जानवरों को वहीं ला कर बंध देता था और साथ ही वहीं सो भी जाता था। उस बुढ़े बरगद पर चढ़ने का अभ्यास कब किया और कब सफल हो गया कहा नही जा सकता! पर जब से होश है अपने जीवन का एक बड़ा भाग उसके साथ बिताया है।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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