View Single Post
Old 26-06-2013, 03:16 PM   #121
bindujain
VIP Member
 
bindujain's Avatar
 
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144
bindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond reputebindujain has a reputation beyond repute
Default Re: Breaking news

देहरादून।। केदारनाथ में सैकड़ों मौतों के बाद वहां अभी भी तबाही का मंजर है। सेना के जवान बुरी तरह सड़-गल चुकी लाशों के अंतिम संस्कार के लिए जूझ रहे हैं। अंतिम संस्कार के लिए लकड़ियां लाने के दौरान मंगलवार को सेना के एक एमआई-17 हेलिकॉप्टर के क्रैश हो जाने से 20 जवानों के जान भी गंवानी पड़ी है, लेकिन इन हालात से बेपरवाह साधु-संत केदारनाथ मंदिर में पूजा करने को लेकर लड़ रहे हैं।

केदारनाथ में भारी तबाही के बाद इस समय केदारनाथ मंदिर में पूजा बंद है। भगवान केदार की 'भोग मूर्ति' को ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर लाकर पूजा की जा रही है। साधु-संतों को यह बाद नागवार गुजर रही है। साधु-संत केदारनाथ में पूजा रोकने के सख्त खिलाफ है। साधु-संतों ने हरिद्वार में बैठक कर गुरुवार को केदारनाथ कूच का वहां पूजा शुरू करने का ऐलान कर डाला है।

ज्योतिषपीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि भगवान केदारनाथ की पूजा सिर्फ केदारनाथ मंदिर में ही होनी चाहिए। वहीं केदारनाथ धाम के रावल भीमा शंकर लिंग शिवाचार्य महास्वामी तब तक वहां पूजा कराने को सही नहीं मानते, जब तक कि मंदिर को शुद्ध न कर लिया जाए। मंगलवार को हरिद्वार में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के साथ सभी अखाड़ों-संप्रदायों के संतों की एक बैठक हुई।

इसमें केदारनाथ में जल्द से जल्द पूजा शुरू करने का फैसला किया गया। बैठक में ऐलान किया गया कि संतों का 11 सदस्यीय दल गुरुवार को केदारनाथ में कार सेवा कर मंदिर का शुद्धिकरण करने के बाद पूजा शुरू कर देगा। सरकार से इजाजत न मिलने के सवाल पर शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार को अनुमति देनी ही होगी, क्योंकि यह काम राष्ट्रहित में किया जा रहा है।

क्या है परंपराः ऊखीमठ को भगवान केदार का शीतकालीन प्रवास माना जाता है। कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन प्रवास के लिए भगवान केदारनाथ की डोली ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर आ जाती है। इसके बाद कपाट खुलने तक वहीं भगवान केदारनाथ श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। इस समय केदारनाथ मंदिर में तबाही के बाद भगवान केदार की पंचमुखी मूर्ति ऊखीमठ लाकर पूजा की जा रही है।
bindujain is offline   Reply With Quote