Re: डॉ. कुमार विश्वास की कवितायेँ!
कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ,तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
कि मोहब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आखों में आंसू है
जो तू समझे तोह मोती हैं जो न समझे तो पानी है
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे आगे
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे
समंदर पीर का अन्दर है लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहोब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
कोई दीवाना कहता हैं कोई पागल समझता है
मगर धरती की बेचैनी को बस बदल समझता है
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है
मोहोब्बत एक एहसासों की पावन सी कहानी है
कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते हैं मेरी आँखों में आंसू है
जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया
अधूरा अनसुना ही रह गया यौन प्यार का किस्सा
कभी तुम सुन नहीं पाए, कभी मैं कह नहीं पाया
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करता है
भरी महफ़िल में भी रुसवा हर बार करता है
याकि है साड़ी दुनिया को खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
मैं जब भी तेज़ चलता हूँ नज़ारे छूट जाते हैं
कोई जब रूप गढ़ता हूँ तो सांचे टूट जाते हैं
मैं रोता हूँ तो आकर लोग कन्धा थप थपाते हैं
मैं हँसता हूँ तो मुझसे लोग अक्सर रूठ जाते हैं
मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तेरे आगे
तू देख के क्या रंग है तेरा मेरे आगे
समंदर पीर का अन्दर हैं लेकिन रो नहीं सकता
ये आंसू प्यार का मोती है इसको खो नहीं सकता
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना मगर सुन ले
जो मेरा हो नहीं पाया वो तेरा हो नहीं सकता
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