बॉलीवुड के 101 वर्ष> महत्वपूर्ण पड़ाव
बिमल राय ने 'दो बीघा जमीन' के माध्यम से देश में किसानों की दयनीय स्थिति का चित्रणकिया। फिल्म में अभिनेता बलराज साहनी का डायलॉग जमीन चले जाने पर किसानोंका सत्यानाश हो जाता है, आज भी भूमि अधिग्रहण की मार झेल रहे किसानों कीपीड़ा को सटीक तरीके से अभिव्यक्त करता हैं। यह पहली भारतीय फिल्म थी जिसेकॉन फिल्म समारोह में पुरस्कार प्राप्त हुआ।
व्ही. वीशांताराम की 1957 में बनी फिल्म 'दो आंखे बारह हाथ' में पुणे के खुला जेलप्रयोग को दर्शाया गया। लता मंगेशकर ने इस फिल्म के गीत 'ऐ मालिक तेरे बंदेहम' को आध्यात्मिक उंचाइयों तक पहुंचाया।
फणीश्वरनाथ रेणु कीबहुचर्चित कहानी मारे गए गुलफाम पर आधारित फिल्म 'तीसरी कसम' हिन्दी सिनेमामें कथानक और अभिव्यक्ति का सशक्त उदाहरण है। ऐसी फिल्मों में 'बदनामबस्ती', 'आषाढ़ का एक दिन', 'सूरज का सातवां घोड़ा', 'एक था चंदर एक थी सुधा', 'सत्ताईस डाउन', 'रजनीगंधा', 'सारा आकाश', 'नदिया के पार' आदि प्रमुख है।