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Originally Posted by pavitra
दीप जी , महिलाएँ खुद कैसे कह सकती हैं कि हमारी इज्जत करो??? ये तो पुरुषों को सोचना चाहिये ।
और महिलाएँ चाहे कितना भी आवाज उठाएँ , स्थिति तब तक नहीं बदलेगी जब तक कि पुरुषों में नैतिकता नहीं आती।
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नैतिकता तो आने से रही। बचपन से ही जब लडकों में लडकी के प्रति (जाने अन्जाने में...परिवार के सभ्यों द्वारा ही) निम्न भाव भर दिया जाता है तो फिर वह कैसे सुधरेंगे? लडकों को बचपन से ही स्त्री के प्रति आदर सिखाना पडेगा।
सभी महिला को अडोस पडोस की घरेलु हिंसा, मारपीट वगैरह के खिलाफ आवाज़ उठानी होगी। अगर घर के कोई पुरुष की सोच स्त्री जाती के प्रति छोटी हो....तो उसे उस की मा, बहेन, बेटी, बहु वगेरह मिलझुल के ही सुधार सकती है। यह एक जंग है। ईसमे लडाई तो लडनी ही होगी।