Re: आस्था पर आग
रजतजी ,आप जो बातें कह रहे हैं वो अपनी जगह ठीक हैं ,लेकिन जब हम एक सार्वजनिक मंच पर होते हैं जहाँ हमें बहुत लोग पढ़ रहे होते हैं या सुन रहे होते हैं तो हमारा दायित्व बनता है की हम दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखें और ऐसा कुछ न कहें जिससे किसी की भावनाएं आहत हों। आप बहुत अच्छे लेखक हैं इसलिए हम सब आपको पढ़ते हैं और हमारी उम्मीदें भी आप से ज़्यादा ही हैं। आपने तँदै पेरियार जी के बारे में कहा की उनकी कई जगह प्रतिमाएं लगी हैं ,उन्हें लोग बहुत मानते हैं तो आप खुद ही बता रहे हैं की वो एक समाज सेवी थे। जो व्यक्ति समाज की भलाई के लिए कार्य करते हैं उन्हें लोग हमेशा सम्मान देते हैं इससे उनके नास्तिक या आस्तिक होने का कोई सरोकार नहीं होता। महात्मा गांधी तो भगवान को मानते थे और वो ये भजन भी हमेशा गया करते थे "रघुपति राघव राजा राम " और पूरा विश्व उनका सम्मान करता है। लोग किसी का सम्मान करें उसके लिए नास्तिक या आस्तिक होना ज़रूरी नहीं है ,बस एक अच्छा इंसान होना ज़रूरी है।
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