एनएसजी के पूर्व कमांडो ने केंद्र सरकार पर लगाया
वित्तीय सहायता राशि न देने का आरोप
नई दिल्ली। मुंबई में 26 नवंबर 2008 को हुए हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करने वाले और शारीरिक रूप से फिट न होने की वजह से सेवाएं देने से मना कर दिए गए राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के एक पूर्व कमांडो ने दावा किया कि उन्हें न तो किसी तरह का वित्तीय लाभ दिया गया और न ही पेंशन दी गयी । पूर्व कमांडो ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें और उनके सहकर्मियों को इनाम में मिली राशि भी नहीं दी गयी है । भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला रहे कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और उनके सहयोगियों के साथ एक संवाददाता सम्मेलन कर 34 वर्षीय पूर्व एनएसजी कमांडो सुरेंद्र सिंह ने कहा कि अब तक उन्हें महज चार लाख रुपए दिए गए हैं जिसमें भारत सरकार की ओर से वित्तीय सहायता के तौर पर मिले 2.5 लाख रुपए भी शामिल हैं । बहरहाल, सरकार ने पूर्व कमांडो के इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया । सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने कहा कि सुरेंद्र को भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार की ओर से सहायता राशि के तौर पर 31 लाख रुपए दिए जा चुके हैं । दिलचस्प तो यह है कि सरकार ने पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) के ‘ट्विटर’ अकाउंट पर उसी वक्त पूर्व कमांडो के दावों को खारिज कर दिया जब संवाददाता सम्मेलन चल रहा था । अपनी दास्तां बयान करते हुए सिंह ने कहा कि मुंबई में 2008 में ताजमहल होटल पर हुए हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते वक्त वह बुरी तरह जख्मी हो गए थे और उन्हें अक्तूबर 2011 में सेवाएं जारी रखने से मना कर दिया गया । उन्होंने कहा कि पिछले साल से सरकार की ओर से उन्हें एक पैसा भी नहीं मिला है । सिंह ने दावा किया कि 26....11 मामले में जख्मी हुए एनएसजी कमांडो को चेक के रूप में कई उपहार मिले लेकिन एनएसजी ने उन्हें संबंधित लोगों के बीच नहीं बांटा । उन्होंने कहा, ‘मैंने एक फाइल देखी जिसमें रोहन मोटर्स प्राइवेट लिमिटेड और एक अन्य कंपनी की ओर से दिए गए दो-दो लाख के चेक मेरे नाम से प्राप्त किए गए थे । मुझे रुपए कभी मिले ही नहीं । न सिर्फ मुझे बल्कि मेरे किसी सहकर्मी को पैसे नहीं दिए गए । मैं जानना चाहता हूं कि पैसे किसने लिए और अब वे कहां हैं ?’ पूर्व कमांडो ने मांग की कि इस मामले की जांच करायी जाए और सरकार यह स्पष्ट करे कि कई लोगों और कंपनियों की ओर से उन्हें दिए गए धन का क्या किया गया । सिंह ने सरकार का एक आदेश भी पेश किया जिसमें कहा गया था कि वह पेंशन पाने के योग्य नहीं हैं क्योंकि उन्होंने सिर्फ 14 साल और तीन महीने की सेवाएं दी हैं जबकि 15 साल की सेवा देने के बाद ही पेंशन के योग्य हुआ जा सकता है । सरकार के इस आदेश के बाबत केजरीवाल ने दावा किया कि कानून में कई प्रावधान हैं जिसके तहत एक कमांडो को छूट दी जा सकती है ताकि वह पेंशन प्राप्त कर सकें । केजरीवाल ने कहा, ‘जो कमांडो देश के लिए जान कुर्बान करते हैं क्या उनके साथ यही सलूक किया जाना चाहिए ? सरकार को बताना चाहिए कि एनएसजी को दिए गए चेकों का क्या किया गया ?’ इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार ने ‘ट्वीट’ किया, ‘सरकार ने नाइक सुरेंद्र सिंह को सभी बकाये का भुगतान कर दिया है ।’ पीआईबी के अकाउंट पर किए गए ‘ट्वीट’ में कहा गया, ‘सरकार ने 16 नवंबर को टेलीफोन के जरिए सरकार को सूचित किया था कि युद्ध के दौरान घायल हो जाने पर दी जाने वाली पेंशन को मंजूरी दे दी गयी है और बैंकरों को भी सूचित किया गया है ।’ सरकार ने लिखा, ‘सुरेंद्र सिंह युद्ध के दौरान घायल हो जाने पर दी जाने वाली पेंशन के तौर पर हर महीने 25,254 रुपए पा रहे हैं । सेवानिवृति लाभ के तौर पर उन्हें 31 लाख रुपए दिए गए थे ।’ केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि विभिन्न सुरक्षा बलों से कमांडो लिए जाते हैं । आरोपों के बाबत शिंदे ने कहा, ‘मैं इसकी जांच करूंगा ।’ बहरहाल, सिंह ने सरकार के दावों को खारिज कर दिया और कहा कि उन्हें सरकार की ओर से पैसे नहीं दिए गए हैं । उन्होंने कहा, ‘आप मेरा बैंक खाता देख सकते हैं । सरकार सरासर झूठ बोल रही है ।’ बाद में केजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘सरकार बेशर्मी से देश को गुमराह कर रही है । 11 जख्मी लोगों को 31 लाख रुपए दिए गए न कि सिर्फ सुरेंद्र सिंह को । 31 लाख रुपए में से सिर्फ 2.5 लाख रुपए सुरेंद्र को दिए गए ।’ उन्होंने सवाल किया, ‘क्या सरकार साबित कर सकती है कि सुरेंद्र हर महीने 25,000 रुपए पा रहे है ? यदि यह साबित नहीं होता है ता देश को गुमराह करने के कारण कौन इस्तीफा देगा ?’ केजरीवाल ने कहा, ‘सरकार ने कहा कि सुरेंद्र को ‘फोन’ के जरिए 16 नवंबर को सूचित किया गया । यह बड़ा दिलचस्प है । पेंशन के बारे में फोन पर सूचना दी जाती है ? ऐसा कब से होता है ? किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं होती ?’