Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (13 फ़रवरी)
सरोजिनी नायडू /Sarojini Naidu
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू (विवाहपूर्व सरोजिनी चट्टोपाध्याय) ने 12 वर्ष की आयु में मेट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा पूरे मद्रास रेजीडेंसी क्षेत्र में प्रथम स्थान पर रहीं. उनके पिता रसायन शास्त्री थे. उन्होंने ने निज़ाम कॉलेज की स्थापना की थी. माता बंगला में कविताएं लिखती थीं.
छोटी उमर में ही उन्होंने 1300 पदों वाली लंबी कविता ‘क्वीन ऑफ़ लेक्स’ तथा अपने पिता की सहायता से फ़ारसी का एक नाटक लिखा जिसका नाम था ‘माहेर मुनीर’. उनके पिता ने इसकी एक प्रति निजाम हैदराबाद के पास भिजवाई. सरोजिनी की प्रतिभा को देखते हुये निज़ाम ने उन्हें वज़ीफ़ा देते हुये आगामी शिक्षा के लिये इंग्लैंड भेजा.
तीन काव्य संग्रहों के बाद से ही सरोजिनी नायडू को भारतीय और अंग्रेज़ी साहित्य जगत की स्थापित कवयित्री माना जाने लगा था. सरोजिनी नायडू द्वारा प्रकाशित काव्य पुस्तकें इस प्रकार हैं:
The Golden Threshold (1905)
Bird of Time (1912)
The Broken Wings (1919)
The Sceptred Flute (1937)
1925 में उन्हें इंडियन नेशनल कांग्रेस (कानपुर अधिवेशन) का अध्यक्ष चुना गया. वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष थीं. अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने कहा था 'स्वाधीनता संग्राम में भय एक अक्षम्य विश्वासघात है और निराशा एक अक्षम्य पाप है।' उनका यह भी मानना था कि भारतीय नारी कभी भी कृपा की पात्र नहीं थी, वह सदैव से समानता की अधिकारी रही है। उन्होंने अपने इन विचारों के साथ महिलाओं में आत्मविश्वास जाग्रत करने का काम किया.
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल नियुक्त की गयीं.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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