07-11-2014, 11:16 AM
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#1014
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Re: अन्ताक्षरी खेले याददास्त बढायें...........
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Originally Posted by rajnish manga
थक हार के फिर ज़हर को होठों से लगाया
वरना ये मेरी तिश्नालबी.....कम नहीं होती
(अक़ील नोमानी)
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ताल्लुकात कभी एक से नहीं रखते
उसे गँवा के भी जीने का हौशला रखना
जब अपने ही लोग आयेंगे लूटने के लिए
तो दोस्ती का तकाजा है घर खुलना रखना
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