Re: कहानी का रूपान्तरण
ताजमहल का प्रतिरूप (Dummy) बनाने के लिए यह अत्यावश्यक है कि प्रतिरूप का स्वरूप ताजमहल जैसा ही हो, न कि कुतुबमीनार, लालकिला या इंडिया गेट जैसा। कुतुबमीनार, लालकिला और इंडिया गेट बनाकर 'ताजमहल से प्रेरित होकर ताजमहल का प्रतिरूप बनाया' कहना आश्चर्चजनक है। ठीक इसी प्रकार नई कहानी में पुरानी कहानी में समाहित केन्द्रीय विचार की उपेक्षा करके नई कहानी को पुरानी कहानी से प्रेरित बताना आश्चर्यजनक है। अतः सच्चाई यह है कि आज तक 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी के ठप्पे के साथ लोकार्पित हुई तीनों फ़िल्मों में से किसी फ़िल्म में भी 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी की आत्मा थी ही नहीं। हम यह तथ्य बता चुके हैं कि कहानी की आत्मा का आशय कहानी के केन्द्रीय विचार से है और 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी का केन्द्रीय विचार है- 'पत्नी का विवाहेतर सम्बन्ध संज्ञान में आने के बाद कहानी का नायक अपनी पत्नी का विवाह उसके प्रेमी के साथ कराना चाहेगा।' 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी के ठप्पे के साथ लोकार्पित हुई तीनों फ़िल्मों में 'नानावटी के मुकदमे' की कहानी में समाहित इस केन्द्रीय विचार की घोर उपेक्षा की गई है।
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