Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
लोमड़ी
एक लोमड़ी ने सुबह के वक़्त जब अपनी छाया पर दृष्टि डाली तो बोली, “ आज मुझे नाश्ते के लिए एक ऊंट मिलना चाहिए.”
उसने सुबह का सारा समय ऊंट की तलाश करते हए गुज़ार दिया. उसे ऊंट न मिला. लेकिन जब दोपहर के समय उसने दोबारा अपनी छाया देखी तो बोली, “मेरे लिए एक चूहा ही काफी होगा.”
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 02-01-2015 at 10:05 PM.
|