04-01-2015, 11:14 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
वृद्धावस्था
युवक कवि ने उस दिव्य रानी से कहा, “मैं तुमसे प्यार करता हूँ.”
दिव्य रानी ने उत्तर दिया, “मेरे बच्चे, मैं भी तुमसे स्नेह करती हूँ.”
“परन्तु मैं तुम्हारा बच्चा नहीं हूँ, मैं मनुष्य हूँ. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.”
दिव्य रानी ने कहा, ”मैं कितने ही पुत्र और पुत्रियों की माता हूँ. और वे भी अपने पुत्र - पुत्रियों के माता - पिता बन चुके हैं. मेरा एक पुत्र तो अवस्था में तुमसे कहीं बड़ा है.”
तब युवक ने फिर कहा, “फिर भी मैं तुमसे प्यार करता हूँ.”
उसके बाद अधिक दिन नहीं बीते कि दिव्य रानी की मृत्यु हो गयी. लेकिन इससे पहले कि उसका आख़िरी सांस पृथ्वी के महान श्वांस में विलीन हो जाता, उसने अपने मन से कहा, “मेरे प्यारे, मेरे बच्चे! युवक कवि, बहुत संभव है कि किसी दिन हम - तुम फिर मिलें और उस समय मेरी अवस्था सत्तर वर्ष की नहीं होगी.”
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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