Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं
और आज की हमारी शख्सियत हैं (15 फ़रवरी)
सुभद्रा कुमारी चौहान /Subhadra Kumari Chauhan
सुभद्रा कुमारी चौहान का जन्म 1904 में इलाहाबाद के निकट एक गाँव में हुआ था। कक्षा नौ तक ही पढ़ पायीं। वे कुशाग्र बुद्धि थीं. प्रथम काव्य रचना आपने 15 वर्ष की आयु में लिखी थी और उसके बाद तो लेखन का यह क्रम चलता रहा। सुभद्रा कुमारी का स्वभाव बचपन से ही दबंग, बहादुर व विद्रोही था। वह बचपन से ही अशिक्षा, अंधविश्वास, जाति आदि रूढ़ियों के विरुद्ध लडीं।
1919 में उनका विवाह हुआ और विवाह के बाद वे जबलपुर (मध्य प्रदेश) आ गईं। 17-18 वर्ष की आयु में सुभद्रा और उनके पति दोनों सत्याग्रह में कूद पड़े. सुभद्रा जी ने कई वर्ष जेल में ही बिताये।
‘झांसी की रानी’ वीर रस की कविता है जो बड़ों और बच्चों दोनों को उत्साह से भर देती है। स्कूल के बच्चे इसे आसानी से कंठस्त कर लेते हैं।
सुभद्रा जी ने बहुत पहले ही अपनी कविताओं में भारतीय संस्कृति के प्राणतत्वों, धर्मनिरपेक्ष समाज का निर्माण और सांप्रदायिक सद्भाव का संदेश देने लगी थीं। 1948 में उन्होंने सदा के लिये आँख मूँद ली. आज उनकी पुण्यतिथि (15 फ़रवरी) पर हम उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हैंl
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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