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rajnish manga
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Default Re: और आज की हमारी शख्सियत हैं

और आज की हमारी शख्सियत हैं (20 फ़रवरी)
भवानी प्रसाद मिश्र /Bhawani Prasad Mishra

भवानी प्रसाद मिश्र
कर्म, वाणी और व्यवहार में गांधीवादी विचारधारा को समर्पित भवानी प्रसाद मिश्र काव्य में छायावाद तथा नई कविता के बीच एक सेतु के समान थे. उनके महत्व को ऐसे समझ सकते हैं कि 1951 में अज्ञेय द्वारा सम्पादित दूसरे तार सप्तकमें पहले कवि थे. बहुत से पाठक कविता को आनंद देने वाली तथा रिझाने वाली कला मानते हैं किंतु मुक्तिबोध, रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना और मिश्र जी जैसे कवियों ने इस धारणा को तोड़ा है. उनकी रचनाएँ रिझाती कम है, खिझाती ज्यादा हैं. यह हमारा चैन तोड़ती और हमें सोचने पर विवश करती है.

1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल जा चुके मिश्र जी घोर अंधकार में भी सदा मशाल लिये खड़े रहे और उन्होंने सत्ता के सामने कभी घुटने नहीं टेके. यहाँ तक कि 1975 में आपातकाल के दौरान वे, अज्ञेय, निर्मल वर्मा तथा रेणु निर्भय हो कर जयप्रकाश नारायण के साथ डटे रहे. इन चारों ने सिद्ध किया कि स्वाधीनता जीवन के लिये अनमोल है.

कुछ समय तक मिश्र जी फिल्मों से भी जुड़े रहे किंतु वहाँ वे अपने सिद्धांतों के चलते अधिक नहीं टिक सके. इसी पृष्ठभूमि उन्होंने गीत फ़रोशनामक गीत लिखा:

जी हाँ हुजूर मैं गीत बेचता हूँ
मैं तरह तरह के गीत बेचता हूँ

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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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