Re: कब हो ही सोनहा बिहान
जनता बेचारी क्या करे? कई बार चुनाव के विज्ञापन और चौंकनेवाले परिणाम मन में बहुत सी आशाएं जगा जाते है, लेकिन आखिरकार जनता को ही असलीयत का सामना करना है । लेकिन आप बताएं की क्या सरकार ईन सब समस्यां की जननी है? हमारे प्रदेश में अगर कुछ अघटित घटता है तो क्या हमारा शिकायतें करने के अलावा और कोई कर्तव्य नहीं है? बढिया लेखक, विचारक, बेख़ौफ वक्ता क्या कुछ नहीं है। सुधार तो यही लाएंगे न की सरकारी बेकलाईट पोस्टर/होर्डिंग । सबकुछ हो सकता है अगर सभी अच्छे-बुरे सिर्फ एक ही दिशा में चल पडें।
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