07-01-2015, 09:12 PM
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Re: खलील जिब्रान और उनकी रचनायें
खलील जिब्रान
प्रेम
हमसे प्रेम के विषय में कुछ कहो.
तब उसने अपना मस्तक ऊंचा किया और सामने खड़े लोगों पर नज़र डाली.सब तरफ शान्ति छ गयी. तब उसने गंभीर स्वर में कहना शुरू किया.
जब प्रेम तुम्हें अपनी तरफ बुलाये तो उसका अनुगमन करो. हो सकता है तुम्हारी राहें कठिन और विषम हों.
जब उसके पंख तुन्हें धकेलना चाहें तो तुम आत्म समर्पण कर दो, भले ही उन पंखों के नीचे छुपी तलवार तुम्हें घायल कर दे. और जब वह तुमसे बोले तो तुम उस पर विश्वास करो, भले ही उसकी आवाज तुम्हारे सपनों को चूर चूर कर दे, ठीक ऐसे जैसे तेज आँधियों में बगीचा उजड़ जाता है.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
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