Re: सफलता का एक वर्ष (28/10/2010)
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Originally Posted by sikandar_khan
और हम कुछ सैनिक अकेले मोर्चा लिए डटे रहे और आज तक हारी नही मानी और आज इस मुकाम का हांसिल किया है जो कि आपके सामने है |
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हार मानना तो हमने सिखा ही नहीं
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घर से निकले थे लौट कर आने को
मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए
बिगड़ैल
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