25-12-2015, 02:12 PM
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#7
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Re: Double Role In Hindi Movies
पर हर चीज का समय होता है, अब सितारों के डबल या ज्यादा रोल वाली कई फिल्मों के बॉक्स ऑफिस पर कोई करिश्मा नहीं दिखा पाने के कारण इस फॉर्मूले का चलन भी कम हो गया है। कलाकार की प्रस्तुति और अच्छी कहानी होने पर ही किसी कलाकार का डबल रोल यादगार साबित होता है। डबल रोल का अर्थ है दो बिल्कुल विभिन्न किरदार। अच्छे अभिनेता और बिकाऊ हीरो में फर्क होता है। पर विडंबना है कि ज्यादातर डबल रोल समर्थ अभिनेता की बजाए बिकाऊ हीरो को ही मिलते हैं। बड़े हीरो दर्शकों को पसंद आने वाले अपने खुद के गढ़े "मैनरिज्म" यानी अदाओं की कैद में ही रहनाचाहते हैं। इसीलिए उनके द्वारा निभाये गए दोहरे किरदार फ़िल्म में कहीं ना कहीं एक दूसरे में गड्ड-मड्ड हो अपना असर खो देते हैं। अक्सर ऐसी फिल्मों की यह चूक खुलकर सामने आ जाती है।
अभी तक की श्रेष्ठ डबल रोल वाली यादगार कुछ फिल्मों पर नज़र डालें तो ये फिल्में भूले नहीं भुलाई जा सकतीं।
देव आनंद-हम दोनों, दिलीप कुमार-राम और श्याम, संजीव कुमार-अंगूर और नया दिन नई रात, देवेन वर्मा-अंगूर, किशोर कुमार-असित सेन की दो दूनी चार, राजकुमार-कर्मयोगी, महमूद-हमजोली, धर्मेद्र-गजब, अमिताभ-आखिरी रास्ता, अनिल कपूर-कृष्ण कन्हैया, कमल हासन-अप्पू राजा, नरगिस-अनहोनी, हेमा मालिनी-सीता और गीता, काजोल-दुश्मन, शर्मिला टैगोर-मौसम आदि।
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
Last edited by rajnish manga; 25-12-2015 at 02:24 PM.
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