शायद आपने बिना पूरी प्रविष्टि पढे ही क्वेट की थी!!! पर आपकी सुविधा के लिए उत्तर दिया जा चुका है।
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Originally Posted by abhisays
main bhi..
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अभी हम वैसे भारत मे रहते हैं जहाँ महिलाओं से फोन पर रसभरी बातें करने के लिए ऊँची कीमत देनी पडती है और यदि वहीं बातें आप करते हैं और पकडे जाते हैं तो कानूनीतौर पर आप अपराधी हैं। गाँधी जी का भारत हम भूल चुके हैं।
फोरम पर सदस्य जुटाने के जो तरीके प्रयोग किये जा रहे हैं वो कहीं से भी लाभदायक नहीं हैं। जिस फोरम पर सदस्य ही न हो वहाँ माडरेटरों की लम्बी फेहरिस्त रखने का उदेश्य क्या हो सकता है? (यह एक खुला प्रश्न है इसपर कोई भी जवाब दे सकता है)
यदि हम सभी को उसकी अच्छाइयों के कारण ही सम्मान दें तो एक तरीके से हम उसे उसकी बुराइयों को बढाने में सहयोग ही कर रहे हैं। अतः हम इस बात पर आपकी बात से सहमत नहीं हो सकते … खेद है अनिल भैया।
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Originally Posted by aksh
हिंदी फोरम पर आने वाले सदस्य सीमित ही हैं..और अगर हम उन्हें उनके विचारों की वजाय उनकी व्यक्तिगत जिंदगी में वो क्या करते हैं इस आधार पर उनके साथ व्यवहार करेंगे तो फिर किसी भी फोरम के लिए सदस्य जुटा पाना असंभव सा ही हो जाएगा क्योंकि सभी मानव हैं और मानव सुलभ सभी कमजोरियां किसी में कम और किसी में ज्यादा सभी में पायी जाती हैं....किसी को हमें उसकी अच्छाइयों से पहचानना चाहिए न कि उसकी बुराइयों से...!! गांधी जी उस पत्र को भी संभाल कर रख लेते थे जिसमें कोई ख़ास बात नहीं होती थी क्योंकि उसके लिफ़ाफ़े और उसमें लगी पिनों को वो प्रयोग में लाते थे.
हर सदस्य की अपनी एक उपयोगिता होती है....जो कि सभी की एक जैसी नहीं हो सकती...सभी के विचार एक जैसे नहीं हो सकते...विचारों में तारतम्य बैठाना पड़ता है.
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