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उपेक्षा का दर्द लिए उदास खड़ी है ब्रिटिश काल की ‘चिमनी’
खर्सियोंग। एक समय यात्रियों के लिए यह शहर का सीमा चिन्ह होती थी लेकिन जैसे-जैसे समय गुजरा खर्सियोंग शहर की ब्रिटिश जमाने की प्रसिद्ध ‘चिमनी’ को लोगों ने भुला दिया। आज यह गुमसुम उदास खड़ी है और प्रशासन के आने की बाट जोह रही है। समुद्र तल से 7,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित ईंटों से बनीं यह चिमनी ब्रिटिश राज में बनी थी लेकिन आज यह उपेक्षा की शिकार है। एक समय 27 फुट लंबी चिमनी दार्जिलिंग की ठिठुरती ठंड से यात्रियों को राहत देती थी और साथ ही शहर की महत्वपूर्ण निशानी थी। गांववाले याद करते हैं कि अंग्रेज रात के वक्त इसे ठहरने के तौर पर इस्तेमाल करते। उस वक्त वर्तमान का हिल कार्ट रोड नहीं बना था। चिमनी में घोड़ों का एक अस्तबल भी हुआ करता था। आज यह न केवल उपेक्षा का शिकार है बल्कि स्थानीयों लोगों के अतिक्रमण का गंभीर खतरा भी यह झेल रही है। काउंसलर और संरक्षण विभाग के प्रभारी विनोद शर्मा ने बताया कि चिमनी का एक हिस्सा नगर निकाय के जिम्मे है। उन्होंने कहा कि निकाय की अगली बैठक में इसके रखरखाव के लिए कदम उठाने पर चर्चा की जाएगी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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