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दूरसंचार विभाग विदेशी कंपनियों की तरफ से संभावित दावों पर कानूनी राय लेगा
नई दिल्ली। दूरसंचार विभाग इस बारे में कानूनी राय ले सकता है कि क्या रूस की सिस्तेमा तथा नार्वे की टेलीनार जैसे विदेशी दूरसंचार कंपनियां लाइसेंस रद्द होने पर द्विपक्षीय निवेश संरक्षण समझौतों के तहत भारत से नुकसान की भरपाई का दावा कर सकते हैं। मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि दूरसंचार विभाग (डीओटी) देश के महान्यायवादी से राय ले सकता है कि क्या उच्चतम न्यायालय के 2जी लाइसेंस रद्द करने के आदेश को विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के तहत चुनौती दी जा सकती है। दूरसंचार विभाग महान्यायवादी से इस बारे में भी राय ले सकता है कि क्या इस प्रकार के विदेशी निवेशक समझौतों के उल्लंघन तथा उनके निवेश की सुरक्षा करने में विफल रहने पर भारत से नुकसान की भरपाई का दावा कर सकते हैं। उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी के अपने आदेश में 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा द्वारा आवंटित 122 दूरसंचार लाइसेंस रद्द करते हुए इसे अवैध करार दिया था। इस निर्णय से यूनिनोर, सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज (एसएसटीएल), टाटा टेलीसर्विसेज, आइडिया सेल्यूलर तथा एस टेल पर प्रभाव पड़ा है। ये सभी विदेशी निवेशक कंपनियां हैं। दूसरी तरफ टेलीनोर (यूनिनोर की संयुक्त उद्यम सहयोगी) तथा सिस्तेमा (एसएसटीएल में संयुक्त उद्यम सहयोगी) ने देश में अपने निवेश की सुरक्षा के लिये द्विपक्षीय समझौतों का हवाला दिया है। दूरसंचार विभाग को यूनिटेक वायरलेस समूह कंपनियों, एस टेल, लूप मोबाइल टेलीकाम तथा एतिसलात डीबी से उनके निवेश की सुरक्षा के लिये अनुरोध पत्र मिला है। डीओटी के अनुसार क्षेत्र में प्रमुख विदेशी निवेश रूस, सिंगापुर तथा मारीशस के रास्ते आया है। भारत का रूस तथा मरीशस के साथ द्विपक्षीय निवेश संवर्द्धन तथा संरक्षण समझौता है जबकि सिंगापुर के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) तथा जापान के साथ व्यापक सहयोग साझीदारी समझौता (सेपा) है।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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