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Originally Posted by jalwa
दादा, प्रणाम.
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राम राम बीरबल जी /
दिन दूना रात चौगुना तरक्की करो !!
दीपावली का अवसर है अतः अब रात में भी अपना कारखाना चलाया करो .... तभी तो तरक्की मिलेगी //
" वो हथियार ले के चल पड़े, हमारी मौत के लिए /
मेरा दोस्त मर मिटा, 'जय' अपने दोस्त के लिए //"