Re: मेलजोल
कबीरदास जी यदि आज जीवित होते तो नेताओं के बारे में यह अनमोल दोहा ज़रूर कहते-
नेता जीवट ना मरै, बार-बार उठि जाय।
‘पपुनेगुव’ के त्रय मिलैं, नेता धूलि चटाय।।
अर्थ स्पष्ट है- नेता इतना जीवट प्राणी होता है कि उसे पराजित करना आसान कार्य नहीं, क्योंकि वह बार-बार उठ खड़ा होता है, किन्तु ‘पपुनेगुव’- अर्थात् पत्रकार, पुलिस, नेता, गुण्डा और वकील में से तीन लोग जब आपस में मिल जाते हैं तो ऐसे जीवट नेता को भी धूल चटा देते हैं अर्थात् पराजित कर देते हैं।
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