Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
भाई यह बात हजम नहीँ हो रही कि कामेश का दर्द से भी कोई रिश्ता है । मस्ती मेँ जीने का राज तो बस कामेश से पूछो । खैर , अपने अजीज मित्र को मैँ तो दर्द नहीँ ही दे सकता । मित्र मेरी शतकीय प्रविष्टि तुम्हेँ समर्पित -
साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी
नूर हर शै छलकने लगेगा
वादियाँ भी महकने लगेँगी । लब से लब जब हमारे मिलेँगे ,
जल्द कलियाँ जवाँ हो खिलेँगी ,
रश्क मदिरा को उस वक्त होगा ,
जबकि मदहोश पलकेँ उठेँगी ।
जर्रा जर्रा बनेगा शरारा
जब हम बेताब बाँहोँ मेँ होँगे वेग तूफाँ का तेज होगा
जिस्म दो जबकि एक जान होगी ।
शोखियोँ से अगर रूठ जाओ बिजलियाँ कदमबोसी करेँगी ,
गर हकीकत मेँ तुम रूठ जाओ ,
जाँ मेरी जिस्म से दूर होगी ।
साथ हम तुम जो दोनो रहेँगे दिन हँसेँगे औ रातेँ उड़ेँगी ।
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