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भाजपा की नकारात्मक राजनीति से निवेश पर असर : कांग्रेस
पार्टी ने खारिज की मध्यावधि चुनाव की आशंका
नई दिल्ली। कांग्रेस ने आज आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की नकारात्मक राजनीति के कारण पिछले वर्ष देश में निवेश तथा आर्थिक वृद्धि का माहौल प्रभावित हुआ। कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि विपक्ष विशेष रूप से भाजपा ने पिछले वर्ष नकारात्मक राजनीति की। उन्होंने कहा कि उसने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मुद्दे से लेकर लोकपाल विधेयक तक नकारात्मक राजनीति से विचित्र माहौल बनाया।
उन्होंने कहा कि 2011 की शुरुआत से ही उसने 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन मुद्दे पर हौवा खड़ा किया, जबकि एक वर्ष बाद भी संयुक्त संसदीय समिति के भीतर और बाहर इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को संभावित नुकसान का आकलन करने का अधिकार भी है या नहीं। प्रवक्ता ने कहा कि लोकपाल विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था और यदि भाजपा राज्यसभा में इसका समर्थन कर देती, तो आसमान नहीं टूट जाता। उन्होंने कहा कि विधेयक में यदि कोई खामी थी भी, तो संसद को कभी भी उसमें संशोधन करने का अधिकार है और भविष्य में ऐसा किया जा सकता था।
तिवारी ने आरोप लगाया कि इस नकारात्मक राजनीति के कारण देश में निवेश और आर्थिक वृद्धि के माहौल पर खराब असर पड़ा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि नए वर्ष में विपक्षी दल गंभीरता से विचार करेंगे और सिर्फ विरोध के लिए विरोध का रास्ता नहीं अपनाएंगे। भाजपा के इस बयान पर कि राज्यसभा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तथा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी लोकपाल विधेयक पर क्यों नहीं बोले, प्रवक्ता ने कहा कि सरकार भाजपा की सलाह पर अपने वक्ता नहीं चुनती।
संप्रग के कुछ सहयोगियों द्वारा अलग-अलग राग अलापने और महत्वपूर्ण निर्णय को वीटो किए जाने के बावजूद कांग्रेस ने नए साल में मध्यावधि चुनाव की आशंका को सिरे से खारिज किया है। पार्टी ने विश्वास व्यक्त किया है कि वह बातचीत के जरिए बीच का रास्ता निकाल लेगी। तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक जैसे सहयोगी दलों के बारे में पूछे गए कई प्रश्नों के उत्तर में तिवारी ने कहा कि निश्चित तौर पर मध्यावधि चुनाव का प्रश्न नहीं उठता है। लोकपाल मुद्दे पर ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस के साथ लगातार जारी मतभेद के बीच तिवारी ने उम्मीद जताई कि बातचीत के जरिए कोई साझा रास्ता निकाल लिया जाएगा। तिवारी ने कहा कि हम तृणमूल कांग्रेस से बातचीत जारी रखेंगे, ताकि हम साझा पहल और कोई रास्ता निकाल सकें। हम तृणमूल कांग्रेस और अन्य सहयोगियों के साथ बात करके कोई बीच का रास्ता निकालेंगे। यह पूछे जाने पर कि कांग्रेस अपने सहयोगियों के साथ इस विषय पर गतिरोध दूर करने में क्यों विफल रही, कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि संप्रग के तहत कई राजनीतिक दल हैं, जिनकी राजनीतिक समझ तथा मुद्दे अलग-अलग हैं। यही गठबंधन का स्वरूप होता है। हम एक-दूसरे से बातचीत करने और रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे। यह पूछे जाने पर कि पार्टी ने ममता के साथ बात क्यों नहीं की, कांग्रेस प्रवक्ता ने याद दिलाया कि विधेयक लोकसभा में पारित हुआ और तृणमूल ने इसमें सहयोग दिया।
लोकपाल पर जारी है वाक्युद्ध
लोकपाल विधेयक के मसले पर भाजपा और कांग्रेस के बीच वाक्युद्ध अब भी जारी है। एक तरफ मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने सरकार पर ‘निराधार’ दोषारोपण करने का आरोप लगाया, तो दूसरी ओर सत्तारूढ़ कांग्रेस ने उस पर बीते पूरे साल के दौरान ‘नकारात्मक राजनीति’ करने का आरोप लगाया। भाजपा के मुख्य प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने विपक्ष की ओर से 187 संशोधन लाए जाने को सही बताया। प्रसाद ने कहा कि अगर आप (सरकार) 76 संशोधनों से निपट सकते हैं, तो 187 से क्यों नहीं?... क्या संशोधन लाना गुनाह है? वे इस अधिकार को नहीं छीन सकते। मैं 300 संशोधन ला सकता हूं। सभी सदस्य एक-एक संशोधन ला सकते हैं। उधर कांग्रेस के प्रवक्ता मनीष तिवारी ने उल्टा विपक्ष पर ही सवाल दाग दिया। उन्होंने कहा कि संप्रग या सरकार भाजपा की सलाह और उनकी पसंद या नापसंद के अनुसार सदन के अध्यक्ष का चुनाव नहीं करती। तिवारी ने भाजपा के कथित इरादों और उनकी पेशेवर कार्रवाई में ‘पूरी तरह सामंजस्य का अभाव’ होने का आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा समेत विपक्षी पार्टियों पर 2 जी मुद्दे से लेकर लोकपाल तक ‘नकारात्मक राजनीति की छाया’ फैलाने का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने इस बात की आशा जताई की नए साल में भाजपा सकारात्मक राजनीति करेगी।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु
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