शेखचिल्ली के कारनामे
शेखचिल्ली ससुराल में
शेखचिल्ली नाम का एक लड़का रहता था। उसकी माँ बहुत गरीब थी। शेखचिल्ली का पिता मर चूका था। उसकी माँ बेचारी किसी तरह शेखचिल्ली को पालती-पोसती थी।
शेखचिल्ली स्वभाव से नटखट तो था ही, साथ ही वह बेवक़ूफ़ भी था। उसकी बेवकूफी के कारण उसकी माँ को बहुत से उलाहने सुनने पड़ते थे।
अंत में एक दिन ऊबकर उसने शेखचिल्ली को घर से निकाल दिया। शेखचिल्ली घर से निकल कर पड़ोस के एक दूसरे गाँव में चला गया। वहां उसने एक झोंपड़ी बनायी और रहने लगा। उसका स्वभाव बहुत ही खुशदिल था इसलिये गाँव के लोग उसके मित्र हो गए। उन्होंने उसकी बड़ी मदद दी और उसका रोटी-पानी का खर्च चलने लगा।
उसकी जिन्दादिली गाँव के मुखिया की लड़की रजिया उस पर आशिक हो गई। गाँव के कुछ नौजवान भी शेखचिल्ली के हिमायती थे। उन्होंने एक दिन दवाव डालकर मुखिया क़ी लड़की रजिया से उसकी शादी करा दी। शेखचिल्ली को शादी में दान-दहेज़ में बहुत कुछ रूपये तथा जेवरात भी मिले। शेखचिल्ली अपनी औरत तथा शादी में मिले हुए रूपये और जेवरात लेकर अपने गाँव वापिस लौट आया।
गाँव में लौटकर शेखचिल्ली अपनी माँ से मिला तथा बोला-माँ देख। मैंने मुखिया की लड़की से शादी कर ली है।