फर्जीवाड़ा तो है ही ये, पता नहीं क्यों किसी जागरूक संगठन ने इसका पुरज़ोर विरोध नहीं किया; जैसे फलाना ढिंका बचाओ अान्दोलन जीवन भर खीचते रहते है वैसे ही किसी संगठन को इस प्रकार के फर्ज़ीवाड़े का आजीवन विरोध करना चाहिए।
पहली बात तो ये की लोगों के पास लाइसेंस, pan , मतदान कार्ड आदि सरकारी कार्ड पहले से ही मौजूद है , ये सब कार्ड भी यूनिक ही है - एक आदमी पर एक ही नंबर मिलता है जो की यूनिक होता है, अब ये तर्क देना की अाधार कार्ड का ही नंबर यूनिक होगा बहुत ही हास्यास्पद है! उससे भी हास्यसपद ये तर्क की इसकी कॉपी नहीं की जा सकेगी ! आज कर फर्जी कार्ड बनाना तो बच्चों का खेल है !
मेरे कार्ड बनाने में भी लचरता साफ़ नज़र आई। मेरे द्वारा भरी जन्मतिथि को ही सही मान लिया गया और उस पर कोई प्रूफ भी नहीं लगा ! जब इसी तरह के ढीले काम करने है तो फिर नए कार्ड बनाने का क्या औचित्य है !
जाहिर है, इसमें बहुत कमाई की गयी है