वहां से कमलेश और नवीन साथ में एक कार में आगे निकलतें है। नवीन अब भी हैरान है की कमलेश कौशिक की बेटी है...ओर कमलेश ने भी यह बात छुपाई थी! दोनों एकदुसरे में खोए थे और सामने थी जीवन की लंबी राहें!
( अनुराग भी गहन सोच में डुबे हुए है। तिग्मांशु को कुछ काम था तो वह भी चल दिए। मै अपना फोन नंबर छोड कर वहां से निकल आया। मै सोच रहा था कि मुझे ईन फिल्मों की जरुरत नहीं। मै नोवेल. कविता, फोटोग्राफी या बादलों-बारीशों में भी फिल्म देख लुंगा। लेकिन अगर फिल्मों को मेरी जरुरत है....तो वह मुझे जरुर बुलाएगी।)
सुत्र लिखने के एक दिन पुर्व ही में "आरोप-मोड" में चला गया था। अभी भी तीन दिनों से लिख ही रहा हुं। सो वहां से वापस लौटने में थोडा वक्त लगेगा। शायद ईस के बाद मेरे दुसरी और आखरी मनपसंद नवलकथा के बारे में बताउंगा।
अस्तु।