View Single Post
Old 07-01-2015, 10:21 PM   #185
rajnish manga
Super Moderator
 
rajnish manga's Avatar
 
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 241
rajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond reputerajnish manga has a reputation beyond repute
Default Re: उपन्यास: जीना मरना साथ साथ

‘‘तब! अब की होतै?’’ मेरा मन प्रसन्न हो गया। लगा की सबकुछ ठीक हो गया। पर नहीं, ऐसा नहीं था।
‘‘अरे अभी बहुत मुश्किल है। रीना त अपन परिवार के साथ जायसे मना कर देलकै और तोरा साथ रहे के बात कहलकै पर जब तक बालिग होबे के प्रमाण न हो जा है तब तक कोर्ट ओकरो जेल मे रखतै।’’


‘‘जेल’’

भोला! सुना तो था कि इश्क नहीं आसां पर आज देख भी लिया और आग के दरिया में डूब कर पार निकलने की परीक्षा हो रही थी। आग का दरिया! जिसमें प्रेम, मान-मर्यादा, स्वाभिमान, लज्जा और प्रेमी के अंदर के मैं को भी आग के दरिया में डुबा कर पार निकालता है बिल्कुल उसी तरह जैसे सोनार सोने को आग में तपा कर उसकी परख करता हो। एक पलड़े पर प्रेमी के परिवार की मर्यादा और उसका अपना मैं रख दिया जाता है और दूसरी तरफ प्रेम और तब उस पार निकला प्रेम साधु की तरह समाज के सामने आता है। बिल्कुल वैसा ही जैसा कि सालों साल तपस्या करते हुए, ध्यान धरते हुए ईश्वर के होने का ज्ञान होता है और आदमी दुनिया छोड़ कर साधु बन जाता है। प्रेम के होने का ज्ञान उसी तरह का होता है जैसे की ईश्वर के होने का ज्ञान बुद्व, महावीर, मीरा और कबीर को हुआ हो।

भोला! एक धंटा बाद वह जेल के दरबाजे पर मुझसे मिलने आई। मेरा परिवार, छोटा भाई, चाचा और बाबूजी भी, उसके साथ थे। नजर मिलते ही उसका दिल लरज गया। जैसे यातना की आपार पीड़ा सहता हुआ मन फूट पड़ता हो। अविरल आंसू की धारा दोनों के आंखों से झरने लगा। कभी चंचल सी हिरणी की तरह फुदकने वाली रीना आज पत्थर की बेजान मूर्ति की तरह लग रही थी, जैसे की मरने के पुर्व आदमी को जीवन का मोह खत्म हो गया हो। एक बोल किसी के मुंह से नहीं फूटा पर खामोशी के एक संवाद ने दर्द को आंसूओं की जुबानी अपनी कहानी सुना दी। प्रेम में दोनों अडीग रहे पर बाजी उसने ही जीती। उसने जो कहा था कि कुछ नहीं होने देंगें,
वही किया।

>>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद)
(Let noble thoughts come to us from every side)
rajnish manga is offline   Reply With Quote