Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकुले (Jokes)
"शुद्ध हरयाणवी"
बल्लू का ब्या था,
माहरे भी च्या था।
बल्लू के साथी थे
तो हम्म भी बाराती थे।
यार की बारात म जा रे थे,
लक्स लगा कै नहा रे थे.......
बस भी पुराणी थी,
एक आँख कि काणी थी।
डगमग-डगमग करके चाले थी,
जणु बुढिया सी हाले थी।
टैर भी पुराणे थे,
पर हमने के खाणे थे।
बैंड बाजे बाजै थे,
हम उछल-2 कै नाचै थे
ब्या का जोश था ,
हमनै के होश था..?
गांव के बीच मै,
गाडी फंसगी कीच मै
उडे एक छोरी का मामा था,
वो पुराणा पजामां था।
वो इतना मोटा था,
जणु गाँव का झोटा था।
बल्लू के साथ आ रे थे
तो गाडी कै धक्के ला रे थे
बल्लू कि साली थी
तव्वा तै भी काली थी
पर हमनै के ब्याहनी थी
फेरा पै बैठ गे थे
जूतीयां के नेग पै अठ गे थे
फेर देख्या थापे मारण आ लिये।
जुते गोज्या म घाल के हम तो भाज लिये,
बल्लू कि शादी थी,
फेर भाजण म के खराबी थी।
और हम के बल्लू के भाती थे,
हम तो उसके बराती थे।"
ईब थापे मारण आली चोगरदे फिरगी,
कब्ड्डी की रैड सी भरगी
पर अंधेरे मै इक गलती करगी,
एक थापा बल्लू कै भी धरगी।
बल्लू कै थापा ईसा जचाया
बल्लू घर तक सुबकता आया
विदाई जब हो री थी
सारी लूगाई रो री थी
बल्लू भी रोवै था
क्यूकी थापे में दर्द हौव था
घर पहुच गे होल्या- होल्या
बल्लू अपनी बहू तै बोल्या;
ये पकडे दो कान,
आगे तै ब्याह ना कराऊं मेरी भाण।
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