Re: चाणक्यगीरी
महागुप्तचर ने आकर चाणक्य को एक कैसेट देते हुए कहा— ''मौर्य हाईकमान की जय हो! मौर्य सम्राट ने यह कैसेट आपके लिए भेजा है और पूछा है— गीत के मुखड़े में गुम आता है या ग़म?''
चाणक्य ने देखा— 'रामपुर का लक्ष्मण' फ़िल्म का कैसेट था। चाणक्य ने टेपरिकार्डर में कैसेट बजाने का आदेश दिया और ध्यान लगाकर गीत सुनने लगे—
'गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हें लिख नहीं पाओं मैं उसका नाम
हाय राम, हाए राम
कुछ लिखा?
हाँ
क्या लिखा?
गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हे लिख नहीं पाओं मैं उसका नाम
हाय राम, हाए राम
अच्छा, आगे क्या लिखूं?
आगे?
सोचा है एक दिन मैं उसे मिलके
कह डालूं अपने सब हाल दिन के
और कर दूं जीवन उसके हवाले
फिर छोड़ दे चाहे अपना बना ले
मैं तो उसका रे हुआ दीवाना
अब तो जैसा भी मेरा हो अंजाम
हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हे लिख नहीं पाओं मैं उसका नाम
हाय राम, हाय राम
लिख लिया?
हाँ
ज़रा पढ़के तो सूनाओ ना
चाहा है तुमने जिस बावरी को
वो भी सजनवा चाहे तुम्ही को
नैना उठाए तो प्यार समझो
पलकें झुका दे तो इकरार समझो
रखती है कब से छुपा छुपा के
क्या?
अपने होठों में पिया तेरा नाम
हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हे लिख नहीं पाओं मैं उसका नाम
हो गुम है किसी के प्यार में दिल सुबह शाम
पर तुम्हे लिख नहीं पाओं मैं उसका नाम
हाय राम, हाय राम'
|