Re: चाणक्यगीरी
एकाएक कुछ सोचकर चाणक्य ने चिन्तित स्वर में पूछा- ‘‘अगर चम्बल के डाकुओं ने छः पसेरी रंग लूटने के चक्कर में हमारा रास्ता रोकने की कोशिश की तो?’’
महागुप्तचर ने बताया- ‘‘आपके मैसूर-यात्रा का कार्यक्रम सुनकर आपके मित्र वाल्मीकि रामायण लिखना छोड़कर चम्बल के डाकुओं को समझा आए हैं। भूतपूर्व डाकू होने के कारण सभी डाकू वाल्मीकि की बड़ी इज़्ज़त करते हैं। वाल्मीकि की बात मानकर चम्बल के डाकू इस समय जंगल मार्ग से शेर, चीता, भालू और हाथियों को खदेड़ने में लगे हैं। यही नहीं, आपका ‘राजरथ-वन’ चम्बल की सीमा में प्रवेश करते ही चम्बल के डाकू कोल्डड्रिंक पिलाकर आपका स्वागत करेंगे।’’
चाणक्य ने कुछ सोचते हुए पूछा- ‘‘डाकुओं का कोल्डड्रिंक पीने से अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में हमारी बदनामी तो नहीं हो जाएगी? कहीं सभी देश यह न कहने लगें- मौर्य देश डाकुओं को संरक्षण प्रदान कर रहा है!’’
महागुप्तचर ने अलक्ष्यता के साथ कहा- ‘‘इस बात की चिन्ता करने की ज़रूरत हमें बिल्कुल नहीं है। किस देश में इतनी हिम्मत है जो मौर्य देश के विरुद्ध अपना मुँह खोल सके। विद्योत्तमा को छोड़कर।’’
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