19-02-2014, 05:37 PM
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#15
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Re: मजेदार मनोरंजनात्मक :.........
KADLI KE PAAT कदली के पात :
चतुर नरन की बात में, बात बात में बात !
जिमी कदली के पात में पात पात में पात !!
आठवां अजूबा - हास्य-व्यंग :.........
उधर जब मैं पैदा हुआ तो भी हादसा हो गया ! शायद होली के दिन पैदा होने के कारण पैदा होते ही मैंने दाई के उपर रंग बिरंगा सू-सू कर दिया ! दाई कुछ ईनाम-कराम पाने की तमन्ना लिए उसी प्रकार उठ कर कमरे से बाहर बैठे मेरे पिता-श्री को बेटा होंने की खबर सुनाने के लिए हिरनी की तरह छलांगे लगाते हुए बाहर आई ! बेटे की खबर सुनकर खुशी में मेरे पिता-श्री ने दाई को अपने बाजुओं में भरकर उसे चूमना चाहा ! लेकिन उसके मुंह और कपडों पर मेरा रंग बिरंगा सू-सू देखकर पीछे हट गए ! इस प्रकार से मेरे सू-सू ने मेरे पिता-श्री को पर-स्त्री-चुम्बन के आरोप में कुम्भी पाक नर्क में जाने से बचा लिया !
हरि कथा कि तरह मेरे नाम भी अनंत हैं ! मां मुझे राज दुलारा कहकर बुलाती है ! उसका कहना है कि मेरा बेटा चाहे जैसा भी है, है तो मेरा ! मैं तो इसे नौ महीने कोख में लिए ढोती- डोलती रही हूं ! पिता जी मुझे निकम्मा और नकारा कहकर बुलाते हैं ! स्कूल में मेरे पूज्य गुरुजन मुझे डफर और नालायक कहते हैं ! मेरी सखियां (गर्ल-फ्रेन्डस) प्यार से मुझे कांगचिडि कहती हैं ! मेरे बाल-सखा मेरे नाम के बदले मुझे बेवकूफ, गधा, ईडियट, उल्लू आदि आदि विशेषणों से अलंकरित करते रहते हैं ! हमारे मुहल्ले में एक सरदार जी रहते हैं वो मुझे झांऊमांऊ कहकर मुस्कराते हुए मेरे हाथ में एक टाफी पकडा देते हैं ! मैं खुश हो जाता हूं !:.........
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